Friday, 15 August 2014

बातो ही बातो में

चलो चले 
मिलके चले
जोड़के हाथ 
घाँटके बात 
सब के साथ 
देश केलिए 
देश के पास ॥ 
                   


ये बात है कास 
बनना है निःस्वार्थ 
लड़ाई न है जात
भाईचारे के साथ 
जल्दी समझना ये बात 
भ्रष्टाचार को करे राख
गरीबी को मारे लात 
मिटे अंदेरे की रात 
तब कोई न दे पाये हमें माथ ॥ 


बातो ही बातो में क्यों कर रहे हम समय बर्बाद 
किसका है हमें इंतेज़ार 
न है हम दुर्बल 
नाही बेसहारा 
अपनी ये शक्ति अपने ही पास 
अब है हमें उठानी आवाज़
करे कुछ कास 
मर  मिटना बने अभ्यास ॥ 


चलो चले 
मिलके चले
जोड़के हाथ 
घाँटके बात 
सब के साथ 
देश केलिए 
देश के पास॥ 






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