Thursday 15 June 2017

नयी ज़िन्दगी

जब एक दरवाज़ा होगी बंद
खुलते  है  अनेक
4 साल की engineering कतम
अब मिली है नौकरि एक

नया सा माहौल है
नयी ये ज़िन्दगी
बदलाव तो होती रहते है
यही तो है ज़िन्दगी

घर से दूर , घरवालो से दूर
अबतो phone पे होगी उनसे बात
सिर्फ छुट्टियों  में मिलने जा सकते है इतने दूर
क्या चाहिए ऐसी ज़िन्दगी ?

फिर जब सोचता हूँ
तो याद आती है एक बात
कुछ पाने केलिए कुछ कोना पड़ता है
कमाने केलिए घर तो छोड़ना पड़ता है

मिले है अच्छे लोग यहाँ
दोस्त पुराने , नये
नयी सफर की  नैया में
आये  है साथ चलने

पुराने दोस्तो को न बुलते हुये
नये को समेटते हुए
बढ़ना है आगे साथ में
नैया को पार कराते हुए

लग रहा है दोस्तो के  साथ
होगी ज़िन्दगी आसान
मुश्किलों  में सब की होगी साथ
तो कुछ करेगा ना हमें परेशान

होगा हमारा क्या
ये थो वक़्त ही बतायेगा
दायां पैर आगे रक्खे
कर दी है शुरुवात  


Share/Bookmark
Categories: ,

0 comments:

Post a Comment